Hanuman Chalisa

Hanuman Chalisa हनुमान चालीसा – Hanuman Chalisa

हनुमान चालीसा  के पाठ से प्रसन्न होते हैं स्वयं सर्वशक्तिमान हनुमान जी, एवं  शनि देव महाराज| माना जाता है हनुमान चालीसा के पाठ करने से, व्यक्ति के मन में बसे सभी प्रकार भय, क्रोध, लालसा,  यादी दूर हो जाती है; और इसे बहुत प्रभावशाली मंत्र माना गया है | हनुमान चालीसा मंत्र, जब करने से अंदर मनसे भय दूर होता है, मन प्रसन्न होता है, और हमारे शरीर मैं  उर्जा की सृष्टि होती है| माना जाता है कि शनि देव की उपासना के समय हनुमान चालीसा पाठ करने से शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं

शिवजी के रुद्रावतार माने जाने बाले हनुमान जी को कई नामों से पुकारा जाता है| इनमें से पवनपुत्र, मारुति नंदन, केसरी, बजरंगबली, यादी प्रधान है| हनुमान जी को वीरता, भक्ति, और साहस का, परिचायक माना जाता है | मान्यता है कि, हनुमान जी अजर अमर हैं , और इनका नाम लेने से, तुरंत ही मनुष्य का भय दूर हो जाता है मनुष्य को शांति मिलती है, तथा आत्माओं को पवित्रता मिलती है और नए उमंग और जोश और ऊर्जा भरपूर मात्रा में हमारे शरीर के अंदर को जागृत होता है| और मनुष्य को हर दुख कष्ट से मुक्ति मिल जाती है| कहां जाता है कि, विशेष रूप से हार शनिवार और मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ करना बहुत मंगल दायक लाभदायक होता है और ऐसे करने से शनिदेव भी प्रसन्न हो जाते हैं|

Hanuman Chalisa हनुमान चालीसा पाठ करने का लाभ

कहा जाता है कि, हनुमान जी को बहुत प्रति दिन याद करने से और उनके मंत्र जाप करने से मनुष्य को पुण्य मिलता है, उनका मन पवित्र होता है, समाज में उनका स्थान अच्छा होता है संसार में शांति आती है हर व्यक्ति रचनात्मकता की मिसाल बनकर रह जाता है|हनुमान चालीसा के पाठ से हमारी आत्माओं को परम प्रभु सच्चिदानंद, परमपिता परमात्मा के साथ मिलन होने का प्रोत्साहित करता है, और इसी प्रकार हर दिन हनुमान चालीसा का पाठ हमारी भावनाओं को, हमारी अध्यात्मिक दिशा की ओर मोड़ देता है, और व्यक्ति मोक्ष की ओर परमात्मा की प्राप्ति की ओर भगवान की पाने की ओर  चल पढ़ते हैं| आशा करते हैं, हनुमान चालीसा का यह पाठ , समस्त धर्मानुरागी व्यक्ति को, भाई बहनों को,  मंगल प्रदान करने वाला होगा,  इसी आशा के साथ आप सबका जीवन मंगलमय हो  – परम प्रभु परमात्मा से यही प्रार्थना करते हैं

हनुमान चालीसा भजन – Hanuman Chalisa Bhajan

Hanuman Chalisa

                                                 Hanuman Chalisa

||दोहा ||

 

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।

बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।

बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।

 

||चौपाई ||

 

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।

जय कपीस तिहुं लोक उजागर॥१॥

 

रामदूत अतुलित बल धामा।

अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा॥२॥

 

महाबीर बिक्रम बजरंगी।

कुमति निवार सुमति के संगी॥३॥

 

कंचन बरन बिराज सुबेसा।

कानन कुंडल कुंचित केसा॥४॥

 

हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।

कांधे मूंज जनेऊ साजै॥५॥

 

संकर सुवन केसरीनंदन।

तेज प्रताप महा जग बन्दन॥६॥

 

विद्यावान गुनी अति चातुर।

राम काज करिबे को आतुर॥७॥

 

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।

राम लखन सीता मन बसिया॥८॥

 

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।

बिकट रूप धरि लंक जरावा॥९॥

 

भीम रूप धरि असुर संहारे।

रामचंद्र के काज संवारे॥१०॥

 

लाय सजीवन लखन जियाये।

श्रीरघुबीर हरषि उर लाये॥११॥

 

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।

तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई॥१२॥

 

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।

अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं॥१३॥

 

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।

नारद सारद सहित अहीसा॥१४॥

 

जम कुबेर दिगपाल जहां ते।

कबि कोबिद कहि सके कहां ते ॥१५॥

 

तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।

राम मिलाय राज पद दीन्हा॥१६॥

 

तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।

लंकेस्वर भए सब जग जाना॥१७॥

 

जुग सहस्र जोजन पर भानू।

लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥१८॥

 

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।

जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥१९॥

 

दुर्गम काज जगत के जेते।

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥२०॥

 

राम दुआरे तुम रखवारे।

होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥२१॥

 

सब सुख लहै तुम्हारी सरना।

तुम रक्षक काहू को डर ना॥२२॥

 

आपन तेज सम्हारो आपै।

तीनों लोक हांक तें कांपै॥२३॥

 

भूत पिसाच निकट नहिं आवै।

महाबीर जब नाम सुनावै॥२४॥

 

नासै रोग हरै सब पीरा।

जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥२५॥

 

संकट तें हनुमान छुड़ावै।

मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥२६॥

 

सब पर राम तपस्वी राजा।

तिन के काज सकल तुम साजा ॥२७॥

 

और मनोरथ जो कोई लावै।

सोइ अमित जीवन फल पावै ॥२८॥

 

चारों जुग परताप तुम्हारा।

है परसिद्ध जगत उजियारा ॥२९॥

 

साधु-संत के तुम रखवारे।

असुर निकंदन राम दुलारे ॥३०॥

 

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।

अस बर दीन जानकी माता ॥३१॥

 

राम रसायन तुम्हरे पासा।

सदा रहो रघुपति के दासा ॥३२॥

 

तुम्हरे भजन राम को पावै।

जनम-जनम के दुख बिसरावै ॥३

 

अन्तकाल रघुबर पुर जाई।

जहां जन्म हरि-भक्त कहाई ॥३४॥

 

और देवता चित्त न धरई।

हनुमत सेइ सर्ब सुख करई ॥३५॥

 

संकट कटै मिटै सब पीरा।

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥३६॥

 

जै जै जै हनुमान गोसाईं।

कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥३७॥

 

जो सत बार पाठ कर कोई।

छूटहि बंदि महा सुख होई  ॥३८॥

 

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।

होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥३९॥

 

तुलसीदास सदा हरि चेरा।

कीजै नाथ हृदय मंह डेरा ॥४०॥

 

दोहा

 

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।

राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप

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